Beauty of sanskrit (श्रीराम एवं कृष्ण के जीवन की कहानी)
🌅 सुप्रभात
संस्कृत की सुंदरता
(The Beauty of Sanskrit)
श्रीराम, एवं कृष्ण के जीवन की कहानी :
तं भूसुतामुक्तिमुदारहासं वंदे यतो भव्यभवं दयाश्री:।
श्रीयादवं भव्यभतोयदेवं संहारदामुक्तिमुतासुभूतम्।।
जब आप प्रथम पंक्ति पढ़ते है, तो दुसरी पंक्ति बिल्कुल पहली पंक्ति की उल्टी है।
लेकिन जो आश्चर्य की बात है वो ये है कि जब आप प्रथम पंक्ति पढ़ते है तो ये भगवान श्री राम के जीवन की कहानी का उल्लेख करती है और जब आप दुसरी पंक्ति पढ़ते है तो वो श्री कृष्ण के जीवन की कहानी का।
सरलार्थ :
प्रथम पंक्ति : "मैं सिता को छुड़ाने के लिए उन्हें प्रणाम करता हूं, जिनकी हंसी गहरी है, जिनका अवतार भव्य है, और जिनसे हर जगह दया और भव्यता पैदा होती है"।
द्वितीय पंक्ति : “मैं उस कृष्ण को प्रणाम करता हूं जो कि यादव-वंश का वंशज है, जो कि पुत्र और चंद्रमा का स्वामी है, जिसने उन्हें भी मुक्त कर दिया (पूतना) जो उनके जीवन का अंत करना चाहते थे, और जो ब्रह्मांड़ की आत्मा है "
आश्चर्यजनक है ना ? कोई काव्य इतना स्पष्ट हो सकता है ? सभी व्याकरण नियम सही ! सभी काव्य नियम सही ! शब्दाअंश नियम भी परिवर्तित नहीं होते जब आप इसे उल्टा पढ़ते है !
Meaning:
First Line: "I bow down to him who Freed Sita, whose laughter is deep, whose avatar is grand, and from whom mercy and grandeur are born or spread everywhere"
Second Line: "I bow to Krishna who is a descendant of the Yadava-dynasty, who is son and lord of the moon, who also freed her (Putana) who wanted to end his life, and who is the soul of the universe."
When we read the first line of verse, it is the life story of lord "Ram" and when we read second (which is exactly reverse the first half) it Describe the life story of lord "Krishna" .
Is it astonishing ? How a poetry can be so precise! All grammatical rules are correct, All poetic and matrical rules are correct, even rhythmic and arrangement of syllable doesn't change when you read it reverse.
👉 इस सुंदरता के बारे अन्य संस्कृत प्रेमियों को भी अवगत कराएं।
-देवश्री मिश्र
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संस्कृत की सुंदरता
(The Beauty of Sanskrit)
श्रीराम, एवं कृष्ण के जीवन की कहानी :
तं भूसुतामुक्तिमुदारहासं वंदे यतो भव्यभवं दयाश्री:।
श्रीयादवं भव्यभतोयदेवं संहारदामुक्तिमुतासुभूतम्।।
जब आप प्रथम पंक्ति पढ़ते है, तो दुसरी पंक्ति बिल्कुल पहली पंक्ति की उल्टी है।
लेकिन जो आश्चर्य की बात है वो ये है कि जब आप प्रथम पंक्ति पढ़ते है तो ये भगवान श्री राम के जीवन की कहानी का उल्लेख करती है और जब आप दुसरी पंक्ति पढ़ते है तो वो श्री कृष्ण के जीवन की कहानी का।
सरलार्थ :
प्रथम पंक्ति : "मैं सिता को छुड़ाने के लिए उन्हें प्रणाम करता हूं, जिनकी हंसी गहरी है, जिनका अवतार भव्य है, और जिनसे हर जगह दया और भव्यता पैदा होती है"।
द्वितीय पंक्ति : “मैं उस कृष्ण को प्रणाम करता हूं जो कि यादव-वंश का वंशज है, जो कि पुत्र और चंद्रमा का स्वामी है, जिसने उन्हें भी मुक्त कर दिया (पूतना) जो उनके जीवन का अंत करना चाहते थे, और जो ब्रह्मांड़ की आत्मा है "
आश्चर्यजनक है ना ? कोई काव्य इतना स्पष्ट हो सकता है ? सभी व्याकरण नियम सही ! सभी काव्य नियम सही ! शब्दाअंश नियम भी परिवर्तित नहीं होते जब आप इसे उल्टा पढ़ते है !
Meaning:
First Line: "I bow down to him who Freed Sita, whose laughter is deep, whose avatar is grand, and from whom mercy and grandeur are born or spread everywhere"
Second Line: "I bow to Krishna who is a descendant of the Yadava-dynasty, who is son and lord of the moon, who also freed her (Putana) who wanted to end his life, and who is the soul of the universe."
When we read the first line of verse, it is the life story of lord "Ram" and when we read second (which is exactly reverse the first half) it Describe the life story of lord "Krishna" .
Is it astonishing ? How a poetry can be so precise! All grammatical rules are correct, All poetic and matrical rules are correct, even rhythmic and arrangement of syllable doesn't change when you read it reverse.
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Meaning of this shlokas in English or kannada
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