सन्धि विचार (विसर्गसन्धि) विसर्ग एवं लोप संम्बन्धित नियम
।। श्रीहरिः शरणम् ।।
विसर्गसन्धिः (सरलीकृत) -१
(निर्देश = वैयाकरण कृपया समझें कि सरलीकृत करने के लिए यथासूत्र लेख नहीं है यह)
विसर्ग क्या है? विसर्ग एक अयोगवाह है। अयोगवाह मतलब जो संस्कृत वर्णमाला में अनुल्लिखित है।
स् और र् ही विसर्ग का रूप लेते हैं। विसर्ग स् और र् का एक आदिष्ट रूप है (acquired form है), अतः वर्णमाला में पृथक् ग्रहण न किया।
रामसु + करोति (सु प्रथमा विभक्ति का प्रत्यय है)
रामस् + करोति
रामः + करोति।
रामसु = रामस् = रामः (आगे खाली है)।
विष्णुः+त्राता = विष्णुस्त्राता।
(ख) ट ठ परे हो तो ष्।
रामः टीकते, = रामस्+टीकते, रामष्टीकते। (ध्यान रहे पहले तो स् ही होगा, फिर ष् हो।)
(ग) च छ परे हो तो श्।
विसर्गसन्धिः (सरलीकृत) -१
(निर्देश = वैयाकरण कृपया समझें कि सरलीकृत करने के लिए यथासूत्र लेख नहीं है यह)
विसर्ग क्या है? विसर्ग एक अयोगवाह है। अयोगवाह मतलब जो संस्कृत वर्णमाला में अनुल्लिखित है।
स् और र् ही विसर्ग का रूप लेते हैं। विसर्ग स् और र् का एक आदिष्ट रूप है (acquired form है), अतः वर्णमाला में पृथक् ग्रहण न किया।
1) पदान्त के स् को ः करो, यदि पर में अवसान (खाली जगह) हो अथवा खफछठथचटतकप हो तो।
रामस् + करोति
रामः + करोति।
रामसु = रामस् = रामः (आगे खाली है)।
2) (क) विसर्ग का भी स् होता है त थ परे रहते।
(ख) ट ठ परे हो तो ष्।
रामः टीकते, = रामस्+टीकते, रामष्टीकते। (ध्यान रहे पहले तो स् ही होगा, फिर ष् हो।)
(ग) च छ परे हो तो श्।
रामः चिनोति = रामस् चिनोति = रामश्चिनोति। (पहले स्, फिर श्)।
3) यदि स् (जो पहले ः था) के परे श् ष् स् हो, तो क्रमशः श् ष् स् के रूप लेगा विकल्प से।
हरिस् + शेते = हरिश्शेते/हरिः शेते
रामस् + षष्ठः = रामष्षष्ठः/रामः षष्ठः
बालास् + सन्ति = बालास्सन्ति/बालाः सन्ति।
4) अब अकारोत्तर ः को ही देखेंगे।
(क) अकार + ः के आगे अ हो तो
अः को ओ करो।
जैसे रामः + अस्ति (राम के म में अ छुपा हुआ है, ध्यान रखना। र्+आ+म्+अ ऐसा वर्णविच्छेद है।)
रामः + अस्ति = रामो अस्ति = रामोSस्ति।
कृष्णः + अधिशेते वैकुण्ठम् = कृष्णो अधिशेते = कृष्णोSधिशेते वैकुण्ठम्।
(ध्यान देना यह नियम सिर्फ अकारोत्तर विसर्ग के लिये है, हरिः+अधिशेते में ओ न करना)।
(ख) अ+ः के आगे वर्ग के 3,4,5 अक्षर (जैसे ग्,घ्,ङ्, ज्,झ्,ञ्, आदि और हयवरल परे हो तो भी "अः" इस पूरे को "ओ" करो।)
रामः + गच्छति = रामो गच्छति।
कृष्णः + हरति = कृष्णो हरति।
______
अपवाद
उपर्युक्त नियम मात्र स् को आदिष्ट (replaced) विसर्ग के लिए हैं, न कि र् को आदिष्ट विसर्ग के लिए।
जैसे रामस्+गच्छति = रामः+गच्छति। तब रामो गच्छति बना।।
लेकिन प्रातर् शब्द है, उसमे र् को ः होके प्रातः बनता है। अतः
प्रातर् + गच्छति = प्रातर्गच्छति।
प्रातर् + अत्र = प्रातरत्र ।
यहाँ पर र् को ः होगा ही नहीं, सीधा वर्णसंयोजन होगा। र् को विसर्ग मात्र क्,ख्,च्,छ् जैसे वर्ग के1-2 अक्षर परे रहते और श्,ष्,स् परे रहते होगा फिर 1,2,3 नियम यथावत् लगेंगे।
जैसे प्रातः तरति = प्रातस्तरति।
प्रातः चिनोति = प्रातश्चिनोति
प्रातः सृजति = प्रातस्सृजति/प्रातः सृजति।
वर्ग के 3,4,5, परे रहते रकारान्त को विसर्ग होगा ही नहीं।
3) यदि स् (जो पहले ः था) के परे श् ष् स् हो, तो क्रमशः श् ष् स् के रूप लेगा विकल्प से।
हरिस् + शेते = हरिश्शेते/हरिः शेते
रामस् + षष्ठः = रामष्षष्ठः/रामः षष्ठः
बालास् + सन्ति = बालास्सन्ति/बालाः सन्ति।
4) अब अकारोत्तर ः को ही देखेंगे।
(क) अकार + ः के आगे अ हो तो
अः को ओ करो।
जैसे रामः + अस्ति (राम के म में अ छुपा हुआ है, ध्यान रखना। र्+आ+म्+अ ऐसा वर्णविच्छेद है।)
रामः + अस्ति = रामो अस्ति = रामोSस्ति।
कृष्णः + अधिशेते वैकुण्ठम् = कृष्णो अधिशेते = कृष्णोSधिशेते वैकुण्ठम्।
(ध्यान देना यह नियम सिर्फ अकारोत्तर विसर्ग के लिये है, हरिः+अधिशेते में ओ न करना)।
(ख) अ+ः के आगे वर्ग के 3,4,5 अक्षर (जैसे ग्,घ्,ङ्, ज्,झ्,ञ्, आदि और हयवरल परे हो तो भी "अः" इस पूरे को "ओ" करो।)
रामः + गच्छति = रामो गच्छति।
कृष्णः + हरति = कृष्णो हरति।
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अपवाद
उपर्युक्त नियम मात्र स् को आदिष्ट (replaced) विसर्ग के लिए हैं, न कि र् को आदिष्ट विसर्ग के लिए।
जैसे रामस्+गच्छति = रामः+गच्छति। तब रामो गच्छति बना।।
लेकिन प्रातर् शब्द है, उसमे र् को ः होके प्रातः बनता है। अतः
प्रातर् + गच्छति = प्रातर्गच्छति।
प्रातर् + अत्र = प्रातरत्र ।
यहाँ पर र् को ः होगा ही नहीं, सीधा वर्णसंयोजन होगा। र् को विसर्ग मात्र क्,ख्,च्,छ् जैसे वर्ग के1-2 अक्षर परे रहते और श्,ष्,स् परे रहते होगा फिर 1,2,3 नियम यथावत् लगेंगे।
जैसे प्रातः तरति = प्रातस्तरति।
प्रातः चिनोति = प्रातश्चिनोति
प्रातः सृजति = प्रातस्सृजति/प्रातः सृजति।
वर्ग के 3,4,5, परे रहते रकारान्त को विसर्ग होगा ही नहीं।
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