संस्कृत वार्तालाप -९ (Sanskrit Conversation -9)

                       गुरु-शिक्षक संवाद


प्रमोदः - नमस्ते श्रीकान्त। आगच्छतु उपविशतु।


प्रमोद - श्रीकान्त नमस्कार। आओ बैठो।


श्रीकान्तः - संस्कृतपाठः प्रचलति किम्? एता किं कुर्वन्ति।


श्रीकान्त - संस्कृत पाठ चल रहा है क्या? ये क्या कर रही हैं?


प्रमोदः - एताः चिं दृष्टवा प्रश्नान् लिखन्ति। ते अर्धकथां पूर्णां कुर्वन्ति।


प्रमोदः - ये चित्र देखकर प्रश्न लिख रही है, वे आधी कथा को पूरा कर रही है।

श्रीकान्तः - एतौ कौ?


श्रीकान्त - ये दोनों कौन हैं?


प्रमोदः - एतौ मम साहय्यं कुरूतः। एते बालिके सुन्दरतया लिखतः।


प्रमोद - ये दोनों मेरी सहायता कर रही हैं, ये दोनों अच्छा लिखती है।


श्रीकान्तः - भो बालकाः, सुन्दरं लिखन्तु। त्वरा मास्तु।


श्रीकान्त - बच्चों अच्छा लिखो, जल्दी नहीं है।


प्रमोदः - ते चित्रं दृष्टवा सम्भाषणं लिखतः। तौ एकां कथां लिखतः। ताः बालिकाः पद बन्धान् रचयन्ति। एते बालकाः प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखन्ति।


प्रमोद - वे दोनों चित्र को देखकर सम्भाषण लिख रही है। वे दोनों एक कहानी लिख रहे हैं, वे बालिकाएँ निबन्ध लिख रही है, ये बालक प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।


श्रीकान्तः - अन्ते उपविष्टवन्तौ तौ किं कुरूतः? युवां कि कुरूथः?


श्रीकान्त - अन्तिम में बैठे हुए वे दोनों क्या कर रहे हैं, तुम दोनों क्या कर रहे हो?

छात्रौ - आवां चित्रे वर्णं योजयावः।


छात्र - हम दोनों चित्रों में रंग भर रहे हैं।


प्रमोद - भोः छायाः। यूयं शीघ्रं समापयथ। इदानीं क्रीडा अस्ति।


प्रमोद - बच्चों तुम जल्दी कार्य समाप्त करो। इस समय खेल होने वाला है।


छात्रा - वयं शीघ्रं शीघ्रं लिखामः आचार्यसे?


छात्र - आचार्यजी, हम शीघ्र लिख रहे हैं।


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टिप्पणियाँ

  1. महान् अनुभवः अभवत्।
    तथैव संस्कृतभाषायां बहु सम्भाषणं इच्छामि।
    एतादृशं संस्कृतसम्भाषणं कृत्वा ब्लोग् मध्ये स्थापयितुं शक्नुथ वा?

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