हलन्त और अजन्त क्या है ? (What is halant and Ajanta in Sanskrit)

                                                      हलन्त और अजन्त क्या है 


जैसा की हम जानते हैं की देवनागरी वर्णमाला का उद्गम महेश्वर सूत्र से हुआ है जिसको आधार करके महर्षि पाणिनि ने अष्टाध्यायी की रचना की, जो कि लौकिक संस्कृत का आधार है ।।

महेश्वर सूत्र के अनुसार सभी स्वर 'अ' से 'च' के बीच में आते हैं, तो जो शब्द स्वरों ('अ' से 'च' या "अच्") में अन्त होते है उन्हें अच् + अन्त या अजन्त कहा जाता है।

इसी तरह जो शब्द व्यंजनों ('ह' से 'ल' या " हल्" में अन्त होते है उन्हें हल् + अन्त या हलन्त कहा जाता है।

अजन्त या हलन्त शब्दों को कैसे पहचानें ?

शब्द के अजन्त या हलन्त होने का पता शब्द के अंतिम अक्षर को देखने से लगता है । सही जानकारी के लिए मूल शब्द (प्रातिपदिक ) देखना चाहिए, शब्द की विभक्ति रूप से सही जानकारी मिलना कठिन हो जाता है। साधारणतया कोई अक्षर, व्यंजन और स्वर का संयुक्त रूप होता है


जैसे : क = क् + अ इसलिए जो भी शब्द पूर्ण व्यंजन में अंत हो वह वास्तव में 'अ' की उपस्थिति के कारण स्वरान्त या अजन्त होगा।


उदाहरण:

बालक = ब्+आ+ ल्+अ+क्+अ (स्वरान्त) > अजन्त

गोपी = ग्+ओ+प्+ई (स्वरान्त) >अजन्त

विद्वस् = व्+इ+द्+व्+स् (व्यंजनान्त) >हलन्त


@Sanskritm

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